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Guruvar Vrat Vidhi Katha गुरुवार व्रत की सम्पूर्ण विधि कथा व महत्त्व

Guruvar Vrat Vidhi Katha गुरुवार व्रत की सम्पूर्ण विधि कथा व महत्त्व

Guruvar Vrat Vidhi Katha Thursday Vrat, Brihaspativar Vrat गुरुवार या बृहस्पतिवार व्रत की सम्पूर्ण विधि, कथा व महत्त्व का वर्णन हम यहाँ विस्तार से आपसे साझा कर रहे है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है । बृहस्पति गृह सभी ग्रहो के “गुरु” है। यह व्रत करने से बृहस्पति देवता अति प्रसन्न होते है। यह व्रत विद्यार्थियों के लिये बुद्धि और विद्याप्रद होता है। इस व्रत से धन की स्थिरता और यश की वृद्धि होती है। पीला पुष्प, पीला वस्त्र तथा पीले चन्दन से बृहस्पति भगवान की पूजा करनी चाहिए।

गुरुवार का व्रत 3 वर्ष, 1 वर्ष या 16 गुरुवार तक करना चाहिए। इस व्रत में दिन में एक ही बार भोजन करना चाहिए। पिली वस्तु का दान भी करना चाहिए।

Guruvar Vrat Vidhi गुरुवार व्रत कैसे करे (गुरुवार व्रत की विधि)

  1. गुरुवार के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। ब्रह्म मुहूर्त में उठना सबसे उत्तम है।
  2. पूजन सामग्री: प्रातःकाल ही भगवान विष्णु की पूजा के लिए सामग्री तैयार कर ले। पूजा के लिये जल, पीला पुष्प, पीला वस्त्र तथा पीला चन्दन, फल, पीला मिष्ठान, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, लौंग, पान, सुपारी, घी, कपूर, मोली(कलेवा या लच्छा), फूल माला, रुई और धातु के कलश की आवश्यकता होती है।
  3. पूजन का समय: सुबह के समय दिन के तीसरे प्रहर तक भगवान विष्णु और बृहस्पति भगवान का पूजन कर लेना चाहिए।
  4. मंत्र जाप: पूजा के समय बृहस्पति ग्रह के मंत्रों का जाप करते रहे।
  5. गुरुवार व्रत में नमक रहित बेसन, चना दाल, घी और चीनी से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए। दिन और रात में केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करे। प्रातः पूजन के उपरान्त कभी भी एक समय भोजन किया जा सकता है। बेसन के लडडू और पीले फलो का सेवन किया जा सकता है।
  6. पूजन के अंत में विष्णु भगवान की आरती जरूर करें।
  7. विष्णु भगवान पूजन के पश्यात गुरुवार व्रत कथा सुननी चाहिए।
  8. गुरुवार (बृहस्पति) कथा पढ़ने-सुनने के बाद श्री बृहस्पति कवचं, श्री बृहस्पति स्तुति और बृहस्पति स्त्रोत्रं का पाठ करने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है।
  9. गुरुवार व्रत में केले के पेड़ का भी पूजन किया जाता है ।

Guruvar Vrat Rules गुरुवार व्रत के नियम

  1. गुरुवार व्रत के दिन सात्विक भोजन करें, मांस-मदिरा का सेवन इस दिन पूर्ण वर्जित होता है।
  2. पूरे दिन में भोजन बिना नमक वाला एक समय ही करना चाहिए, भोजन या फलाहार से पूर्व विष्णु भगवान का पूजन कर लेना चाहिए।
  3. श्री बृहस्पति कवचं, श्री बृहस्पति स्तुति का पाठ और बृहस्पति मन्त्र की 16 , 5 या 3 माला जरूर करें।
  4. बृहस्पति व्रत की कथा जरूर पढ़ें या सुनें ।
  5. आपके नजदीक जो भी बृहस्पति या विष्णु मंदिर हो, वहाँ सपरिवार दर्शन करने जरूर जाए। विष्णु भगवान जी की कृपा परिवार पर रहेगी ।
  6. बृहस्पति ग्रह का राशि-भोग काल: बृहस्पति ग्रह एक वर्ष में राशि का भोग करता है, अर्थात एक राशि पर एक साल तक रहता है।
  7. बृहस्पति ग्रह की दृष्टि: बृहस्पति ग्रह जिस भाव में बैठा हो उसमे तीसरे तथा दसवें भाव को ‘एक पाद’ दृष्टि से, नवे तथा पांचवे भाव को ‘द्वि पाद’ दृष्टि से, चौथे तथा आठवें भाव को त्री पाद दृष्टि से तथा पांचवे तथा नवे भाव को ‘पूर्ण दृष्टि’ से देखता है।
  8. बृहस्पति ग्रह की जाति: बृहस्पति ग्रह की जाति ‘ब्राह्मण’ जाति है।
  9. बृहस्पति ग्रह का रंग: बृहस्पति ग्रह का रंग ‘पीला रंग’ होता है।
  10. बृहस्पति ग्रह ‘ज्ञान तथा सुख’ का अधिष्ठाता ग्रह है।
  11. बृहस्पति ग्रह ‘शुभ ग्रह’ की श्रेणी में आता है।
  12. बृहस्पति शान्त्यर्थ रत्न : पुखराज या मोती
  13. बृहस्पति ग्रह की दान वस्तुएँ: पीला वस्त्र, हल्दी, चना, पुखराज, सोना, धृत, पीले फूल, चने की दाल, घोडा, चीनी , केसर, कासी, पीत धान्य और पीले फल। बृहस्पतिवार के दिन दान का सबसे उत्तम समय संध्या काल रहता है।

Guruvar Vrat Mantra गुरुवार व्रत का मंत्र

बृहस्पति ग्रह की जप संख्या: बृहस्पति ग्रह की जप संख्या 19000 जप की है।
बृहस्पति मन्त्र – ॐ बृहस्पतये नमः ।
बृहस्पति या गुरु ग्रह का वैदिक मन्त्र(बीज मंत्र) – ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।

बृहस्पति मन्त्र की 16, 5 या 3 माला की जाती है ।

Guruvar Vrat Significance गुरुवार व्रत का महत्त्व या फायदे

  1. गुरुवार का व्रत विद्यार्थियों के लिये बुद्धि तथा विद्याप्रद होता है।
  2. गुरुवार का व्रत करने से धन की स्थिरता तथा यश की वृद्धि होती है।
  3. जिस किसी की कुंडली में गुरु की दृष्टि कमजोर हो उसे गुरुवार व्रत जरूर करना चाहिए। इससे उसका गुरु मजबूत होता है ।
  4. गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से अविवाहितों का विवाह होने में सहायता मिलती है ।
  5. यह व्रत करने से बृहस्पति भगवान अति प्रसन्न होते है तथा अन्न, धन, विद्या का लाभ तथा रूपवती पत्नी प्राप्त होती है।
  6. स्त्रियों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए ।
  7. सभी को जीवन में ज्ञान और सुख की लालसा होती है और बृहस्पति ग्रह ‘ज्ञान तथा सुख‘ का अधिष्ठाता ग्रह है। तो जिस किसी को ज्ञान और सुख चाहिए वो गुरुवार का व्रत जरूर करे।

Guruvar Vrat Aarti गुरुवार व्रत की आरती( बृहस्पति भगवान की आरती) Brihaspati Bhagwan ki Aarti

जय बृहस्पति देवा,
ऊँ जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगा‌ऊँ,
कदली फल मेवा ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

चरणामृत निज निर्मल,
सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्घार खड़े ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

दीनदयाल दयानिधि,
भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटा‌ओ,
संतन सुखकारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

जो को‌ई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो बृहस्पति देव भगवान की जय ॥

Guruvar Vrat Katha गुरुवार व्रत की कथा(गुरुवार व्रत की पौराणिक कथा)

आनंदपुर नगर में एक सुखी परिवार रहता था। उनके घर में अन्न, वस्त्र और धन की कोई कमी नहीं थी। परन्तु घर की बहु बहुत ही कर्पण थी । किसी भी भिक्षार्थी को कुछ नहीं देती थी । सारे दिन घर के काम काज में लगी रहती थी । एक दिन बृहस्पति भगवान साधु-महात्मा के भेष में बृहस्पतिवार के दिन उसके घर के द्वार पर आये और भिक्षा की याचना की। बहु उस समय घर के आँगन की सफाई कर रही थी । इस कारण साधू से कहने लगी कि महाराज इस समय तो मैं घर साफ़ कर रही हूँ। आपको कुछ नहीं दे सकती । फिर किसी अवकाश के समय आना ।

साधु-महात्मा खाली हाथ चले गए। कुछ दिन के बाद वही साधू फिर वहाँ आये । उसी तरह भिक्षा मांगी । घर कि बहु बेटे को नहला रही थी । वो कहने लगी- महाराज मैं क्या करू अवकाश नहीं है, इसलिए आपको भिक्षा नहीं दे सकती । तीसरी बार महात्मा फिर आये तो उसने उन्हे उसी तरह से टालना चाहा परन्तु महात्मा जी कहने लगे कि यदि तुझको बिलकुल ही अवकाश हो जाये तो मुझको भिक्षा देगी ? घर की बहु कहने लगी कि हां महाराज यदि ऐसा हो जाये तो आपकी बड़ी कृपा होगी। साधू-महात्मा बोले कि मैं एक उपाय बताता हूँ ।

तुम बृहस्पतिवार को दिन चढ़ने पर उठो और सारे घर में झाड़ू लगाकर कूड़ा एक कोने में जमा करके रख दो । घर में चौका इत्यादि मत लगाओ । फिर स्नान इत्यादि करके घर वालो से कह दो कि घर के सभी पुरुष उस दिन हजामत बनवाए। भोजन बनाकर उसे चूल्हे के पीछे रखा करो, सामने कभी मत रखना। सांयकाल को अँधेरा होने के बाद दीपक जलाया करो । बृहस्पतिवार के दिन पीले वस्त्र कभी धारणा नहीं करना और ना ही पीले रंग कि चीजों का भोजन करना । बस यदि ऐसा करोगे तो तुम्हे घर का कोई भी कार्य नहीं करना पड़ेगा । घर की बहु ने ऐसा ही किया ।

पूरे घर के सभी सदस्य ऐसा ही करते रहे। वे सभी बृहस्पतिवार को ऐसा ही करते रहे। अब कुछ समय बाद उसके घर में खाने को दाना भी नहीं रहा । थोड़े दिन बाद वही महात्मा जी फिर आये और भिक्षा मांगी परन्तु बहु बोली महाराज मेरे घर में खाने को अन्न ही नहीं है तो आपको क्या भिक्षा दे सकती हूँ । तब महात्मा जी ने कहा कि जब तुम्हारे घर में सब कुछ था तब भी तुम कुछ नहीं देती थी । अब पूरा-पूरा अवकाश है तब भी कुछ नहीं दे रही हो, तुम क्या चाहती हो वह कहो ?

तब बहु ने हाथ जोड़कर प्रार्थना की महाराज अब कुछ ऐसा उपाय बताओ कि मेरे पहले जैसा धन-धान्य हो जाये । तब महात्मा जी को दया आई और बोले- बृहस्पतिवार को प्रातःकाल उठकर स्नानादि से निवृत होकर घर कि सफाई किया करो और घर के पुरुष हजामत ना बनवाए । भूखो को अन्न-जल देती रहा करो । ठीक सांयकाल के समय दीपक जलाया करो । यदि ऐसा करोगी तो तुम्हारी सब मनोकामनाय भगवान बृहस्पति जी की कृपा से पूर्ण होगी।घर की बहु ने ऐसा ही किया और उसके घर में धन-धान्य, वैभव पहले से भी कई गुना हो गया । बोलो बृहस्पति भगवान की जय ।

Brihaspati Kavacham श्री बृहस्पति कवचं

विनियोग – अस्य श्रीबृहस्पति कवचस्तोत्रमन्त्रस्य, ईश्वर ऋषिः,

अनुष्टुप् छन्दः, गुरु देवता, गं बीजं श्रीं शक्तिः क्लीं कीलकं गुरु प्रीत्यर्थं पाठे विनियोगः ॥

अथ श्रीबृहस्पति कवचम्

अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञं सुर पूजितम्।

अक्षमालाधरं शान्तं प्रणमामि बृहस्पतिम्।।

बृहस्पति: शिर: पातु ललाटं पातु में गुरु:।

कर्णौ सुरुगुरु: पातु नेत्रे मेंभीष्टदायक:।।

जिह्वां पातु सुराचायो नासां में वेदपारग:।

मुखं मे पातु सर्वज्ञो कण्ठं मे देवता शुभप्रद:।।

भुजवाङ्गिरस: पातु करौ पातु शुभप्रद:।

स्तनौ मे पातु वागीश: कुक्षिं मे शुभलक्षण:।।

नाभिं देवगुरु: पातु मध्यं सुखप्रद:।

कटिं पातु जगदवन्द्य: ऊरू मे पातु वाक्पति:।।

जानु जङ्गे सुराचायो पादौ विश्वात्मकस्तथा।

अन्यानि यानि चाङ्गानि रक्षेन् मे सर्वतोगुरु:।।

इत्येतत कवचं दिव्यं त्रिसन्ध्यं य: पठेन्नर:।

सर्वान् कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत्।।

|| इति श्री ब्रह्मयामलोकतं बृहस्पति कवच सम्पूर्णम् ||

श्री बृहस्पति स्तुति Shri Brihaspati Stuti

जयति जयति जय श्री गुरूदेवा, करों सदा तुम्हरी प्रभु सेवा।

देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी, इन्द्र पुरोहित विद्यादानी।

वाचस्पति बागीश उदारा, जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा।

विद्या सिन्धु अंगिरा नामा, करहु सकल विधि पूरण कामा।

Brihaspati Stotram श्री बृहस्पति स्त्रोत्रं

गुरुर्बुधस्पतिर्जीवः सुराचार्यो विदांवरः। वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा।।

सुधादृष्टिः ग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः। दयाकरः सौम्य मूर्तिः सुराज़: कुङ्कमद्युतिः।।

लोकपूज्यो लोकगुरुर्नीतिज्ञो नीतिकारकः। तारापतिश्चअङ्गिरसो वेद वैद्य पितामहः।।

भक्तया वृहस्पतिस्मृत्वा नामानि एतानि यः पठेत्। आरोगी बलवान् श्रीमान् पुत्रवान् स भवेन्नरः।।

जीवेद् वर्षशतं मर्त्यः पापं नश्यति तत्क्षणात्। यः पूजयेद् गुरु दिने पीतगन्धा अक्षताम्बरैः।

पुष्पदीपोपहारैश्च पूजयित्वा बृहस्पतिम्। ब्राह्मणान् भोजयित्वा च पीडा शान्ति:भवेद्गुरोः।।

गुरुवार व्रत में यह ध्यान रखें:

  • गर्भवती महिलाएं, बीमार लोग और छोटे बच्चे अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार व्रत का पालन करें।
  • व्रत को केवल धर्म या परंपरा से अधिक आस्था और भक्ति के साथ करें।

FAQ

गुरुवार व्रत कितने बजे खोलना चाहिए?

गुरुवार व्रत को पूरे दिन में विष्णु भगवान की पूजा करने के बाद कभी भी खोला जा सकता है । भोजन बिना नमक वाला एक समय ही करना चाहिए।

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