Navratri Puja Vidhi Maa Durga Puja आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्री के नौ दिनों तक व्रत रखे जाते है। प्रतिपदा के दिन प्रातः स्नान आदि करके माता जी की पूजा का संकल्प करे। नौ दिनों में नव दुर्गा का प्रतिदिन पूजन किया जाता है। सबसे पहले मिटटी के बड़े पात्र में कंडे कूटकर उसमे मिटटी व खाद मिलाकर गेहू या जौ को बोया जाता है। इसपर कलश की स्थापना की जाती है। कलश के ऊपर श्री दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित कर उनका पूजन किया जाता है।
पूरे नौ दिनों तक चंडी सप्तशती(दुर्गा सप्तशती) का पाठ किया या करवाया जाता है। ध्यान रखे कि नवरात्री प्रारम्भ होने से लेकर समाप्ति तक देवी के समक्ष अखंड दीपक जलाये रखना चाहिये। वैष्णव लोग राम भगवान की मूर्ति स्थापित कर रामायण का पाठ करते है। नवरात्री में नवपारायण पाठ किया जाता है। प्रत्येक पारायण के पश्यात विश्राम होता है। इस प्रकार रामायण का पाठ नौ दिनों में पूर्ण होता है।
नवरात्रि कलश पूजन विधि
शुद्ध मृत्तिका में यव अथवा गेहू रोपण कर उस पर कलश स्थापना करे आचमन-प्राणायाम करके संकल्प वाक्य के अंत में
“ममेह जन्मनि दुर्गाप्रीति-द्वारा सर्वापच्छान्तिपूर्वकं दीर्घायुर्विंपुलधनं पुत्र पौत्राध विच्छित्र-सन्ततिवृद्धि स्थिर लक्ष्मी कीर्तिलाभ शत्रु पराजय प्रमुख चतुर्विध पुरषार्थ सिद्धयर्थ गणपति मातृका पूजनं कलश स्थापनं ग्रहपूजनं तदनन्तरं दुर्गा पूजनं करिष्ये।।
ऐसा बोलकर संकल्प छोड़े, पश्यात निम्न संकल्प बोलकर ब्राह्मण का वरण करे
अध दुर्गा पूजन पूर्वक मार्कण्डेय पुराणान्तर्गत चण्डीसप्तशतीपाठ-करणार्थ अमुक गोत्र अमुक शर्माणं त्वामहं वृणे। पश्यात ब्राह्मण “वृतोस्मि” कहे।
इसके पश्यात गणेश जी और मातृका का पूजन करके कलश स्थापना निम्न प्रकार से करे
प्रथम भूमि स्पर्श करे
ॐ भूरसि भूमिरस्यदितिसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्री । पृथिवीं यच्छ पृथिवींदृ र्ठ ह पृथिवीं माहि र्ठ सीः।
कलश के नीचे स्थित जौ या मंडलस्य धान्य के हाथ लगावै ।
ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्वोदानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।
नवरात्रि माँ दुर्गा पूजन विधि
स्नानं समर्पयामि कहकर जल के छींटे देकर स्नान करवाये
वस्त्रं समर्पयामि कहकर मोली चढ़ाये
गन्धकं समर्पयामि कहकर रोली के छींटे देवे
अक्षतं समर्पयामि कहकर चावल चढ़ाये
धूपंघ्रापयामि कहकर धूप दिखाये
दीपकं दर्शयामि कहकर दीपक दिखाये
नैवेद्यम समर्पयामि कहकर नैवेद्य चढ़ाये
आचमनीयां समर्पयामि कहकर जल के छींटे देकर आचमन करे
ताम्बूलं समर्पयामि कहकर पान का पूरा पत्ता चढ़ाये और अंत में
दक्षिणां समर्पयामि कहकर सुपारी व कुछ पैसे चढ़ाये
FAQ
Which are the 9 Colours of Navratri
नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा में 9 अलग अलग रंगों का विशेष महत्व है।
प्रथम नवरात्रि, माता शैलपुत्री का प्रिय रंग सफ़ेद है।
द्वितीय नवरात्रि, माता ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग नारंगी है।
तृतीय नवरात्रि, माता चंद्रघंटा का प्रिय रंग सफ़ेद है।
चतुर्थी नवरात्रि, माता कुष्मांडा का प्रिय रंग लाल है।
पंचमी नवरात्रि, मां स्कंदमाता का प्रिय रंग नीला है।
षष्ठी नवरात्रि, माता कात्यायनी का प्रिय रंग पीला है।
सप्तमी नवरात्रि, माता कालरात्रि का प्रिय रंग लाल है।
अष्टमी नवरात्रि, माता महागौरी का प्रिय रंग मोरपंखी है।
नवमी नवरात्रि, माता सिद्धिदात्री का प्रिय रंग लाल व पीला है।