Aarti Sangrah – PrabhuPuja https://prabhupuja.com Sanatan Dharma Gyan Sat, 30 Nov 2024 17:27:30 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://i0.wp.com/prabhupuja.com/wp-content/uploads/2024/07/cropped-prabhupuja_site_icon-removebg-preview-1.png?fit=32%2C32&ssl=1 Aarti Sangrah – PrabhuPuja https://prabhupuja.com 32 32 214786494 Bhagwan Kailashwasi Ki Aarti Lyrics in Hindi | भगवान् कैलासवासी की सम्पूर्ण आरती हिंदी में  https://prabhupuja.com/bhagwan-kailashwasi-ki-aarti-lyrics-in-hindi/ https://prabhupuja.com/bhagwan-kailashwasi-ki-aarti-lyrics-in-hindi/#respond Sat, 30 Nov 2024 02:42:39 +0000 https://prabhupuja.com/?p=5024 भगवान् कैलासवासी की सम्पूर्ण आरती हिंदी में  | Bhagwan Kailashwasi Ki Aarti Lyrics in Hindi, Arati Bhagavana Kailasavasi, kailashwasi shankar ji ki aarti

भगवान् कैलासवासी की सम्पूर्ण आरती हिंदी में पूरी Bhagwan Kailashwasi Ki Aarti Lyrics in Hindi Full

शीश गंग अर्धंग पार्वती
सदा विराजत कैलासी।
नंदी भृंगी नृत्य करत हैं,
धरत ध्यान सुर सुखरासी।।
शीतल मन्द सुगन्ध पवन बह,
बैठे हैं शिव अविनाशी।
करत गान गन्धर्व सप्त स्वर,
राग रागिनी मधुरासी।।

यक्षरक्षभैरव जहं डोलत,
बोलत हैं वनके वासी।
कोयल शब्द सुनावत सुन्दर,
भ्रमर करत हैं गुंजा-सी।।
कल्पद्रुम अरु पारिजात तरु,
लाग रहे हैं लक्षासी।
कामधेनु कोटिन जहं डोलत,
करत दुग्ध की वर्षा-सी।।
सूर्यकान्त सम पर्वत शोभित,
चन्द्रकान्त सम हिमराशी।
नित्य छहों ऋतु रहत सुशोभित,
सेवत सदा प्रकृति दासी।।

ऋषिमुनि देव दनुज नित सेवत,
गान करत श्रुति गुणराशी।
ब्रह्मा-विष्णु निहारत निसिदिन,
कछु शिव हमकूं फरमासी।।
ऋद्धि-सिद्धि के दाता शंकर,
नित सत् चित् आनंदराशी।
जिनके सुमिरत ही कट जाती,
कठिन काल यम की फांसी।।
त्रिशूलधरजी का नाम निरंतर,
प्रेम सहित जो नर गासी।
दूर होय विपदा उस नर की,
जन्म-जन्म शिवपद पासी।।
कैलासी काशी के वासी,
विनाशी मेरी सुध लीजो।
सेवक जान सदा चरनन को,
अपनो जान कृपा कीजो।।
तुम तो प्रभुजी सदा दयामय,
अवगुण मेरे सब ढकियो।
सब अपराध क्षमा कर शंकर,
किंकर की विनती सुनियो।।

जय जय कैलाशपति की जय।।

भगवान् कैलासवासी की आरती संपूर्ण।।

भगवान् कैलासवासी की सम्पूर्ण आरती फोटो Bhagwan Kailashwasi Ki Aarti Lyrics in Hindi Photo Image

भगवान् कैलासवासी की सम्पूर्ण आरती डाउनलोड Bhagwan Kailashwasi Ki Aarti Lyrics in Hindi Download

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Aarti Girja Nandan Ki Gajanan Asur Nikandan Ki Lyrics in Hindi | आरती  गिरजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की https://prabhupuja.com/aarti-girja-nandan-ki-gajanan-asur-nikandan-ki-lyrics-in-hindi/ https://prabhupuja.com/aarti-girja-nandan-ki-gajanan-asur-nikandan-ki-lyrics-in-hindi/#respond Sat, 26 Oct 2024 01:54:00 +0000 https://prabhupuja.com/?p=4983 Aarti Girja Nandan Ki Gajanan Asur Nikandan Ki Lyrics in Hindi | आरती  गिरजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की सम्पूर्ण आरती हिंदी में,

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आरती  गिरजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की आरती पूरी

मुकुट मस्तक पर है न्यारा, हाथ में अंकुश है प्यारा
गले में मोतियन की माला, उमासुत देवो में आला
प्रथम सब तुमको नमन करे, सदा सुर नर मुनि ध्यान धरे
करे गुणगान, मिटे अज्ञान, होय कल्याण
मिले भक्ति भव् भंजन की…… गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की, गजानन असुर निकंदन की।

बालहट प्रभु ने जब कीन्हा, माता की आज्ञा सर लीन्हा
पूर्ण प्रण तुम अपना कीन्हा, अंत में मस्तक दे दीन्हा
हुई भइ क्रोधित सुनत जगमाता, कहा क्या कीन्हा शिवदाता
कहा हे माथ पुत्र का नाथ, देव मम हाथ
वरन होइ निंदा देवन की……. गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की |

चकित भये सुनकर कैलाशी करू जीवित में अविनाशी
गणो से बोले यो वाणी, शीघ्र लाओ तुम कोई प्राणी
जिसे भी पैदा तुम पाओ, मनुष्य हो या पशु ले आओ
तुरंत वन जाये , शीश गज पाए , तुरंत जुड़वाये
ख़ुशी भई माँ को सूतधन की….. गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की |

हुए गणराजा बलधारी, बुद्धि पे विद्या अवतारी
सकल कारज में हो वृद्धि, डुलावे चवर रिद्धि सिद्धि
आप है मंगल के स्वामी, जानते सब अंतर्यामी
दयालु आप, हरो संताप, क्षमा हो पाप,
सुधि सब लीजै भक्तन की…… गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की |

आशा पुरण कीजे मेरी , लगायी तुमने क्यों देरी
दरस देना जी आप गणेश , मिटाना दुःख दरिद्र कलेश
जगत में रखना मेरी लाज , विनय भगतो की है गणराज
मैं हूँ नादान , मिले सतज्ञान, देओ वरदान
करू नित सेवा चरणन की…… गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की , गजानन असुर निकंदन की |
आरती गिरिजा नंदन की , गजानन असुर निकंदन की

आरती  गिरजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की आरती फोटो

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Kali Mata Aarti Hindi Lyrics Ambe Tu Hai Jagdambe Kali https://prabhupuja.com/kali-mata-aarti-hindi-lyrics-ambe-tu-hai-jagdambe-kali/ https://prabhupuja.com/kali-mata-aarti-hindi-lyrics-ambe-tu-hai-jagdambe-kali/#respond Sun, 14 Apr 2024 11:46:26 +0000 https://prabhupuja.com/?p=3010 Kali Mata Aarti Hindi Lyrics Ambe Tu Hai Jagdambe Kali माँ काली आरती अम्बे तू है जगदम्बे काली

Kali Mata Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi काली माता जी की सम्पूर्ण आरती हिंदी में

 अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
 तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

 तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी |
 दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी |
 सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,
 दुशटन को तू ही ललकारती |
 हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

 माँ बेटी का है इस् जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता |
 पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता |
 सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,
 दुखीं के दुक्खदे निवर्तती |
 हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

 नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना |
 हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना |
 सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,
 सतियो के सत को संवरती |
 हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

 चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली |
 वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली |
 माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,
 भक्तो के करेज तू ही सरती |
 हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

 अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
 तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

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Shri Bhairav Ji Ki Aarti भगवान श्री भैरव की आरती https://prabhupuja.com/shri-bhairav-ji-ki-aarti-lyrics/ https://prabhupuja.com/shri-bhairav-ji-ki-aarti-lyrics/#respond Thu, 07 Dec 2023 12:06:21 +0000 https://prabhupuja.com/?p=1614 Shri Bhairav Ji Ki Aarti Lyrics भगवान श्री भैरव की आरती, भगवान भैरव की प्रत्येक रविवार के दिन पूजा भैरव मंदिर में जाकर करनी चाहिए। भैरव जी को चोला चढ़ाने के बाद भैरव चालीसा का पाठ करने के बाद भैरव जी की आरती अवश्य करनी चाहिए। भक्तो के दुःख हर्ता, भक्तो पर तुरंत प्रसन्न होने वाले भैरव जी की कृपा के बिना शिव पूजा भी अधूरी ही मानी जाती है।

भगवान शिव ने प्रत्येक शक्ति पीठ की रक्षा का कार्य भैरव जी को सौंपा था, अतः प्रत्येक शक्ति पीठ के पास भैरव मंदिर भी अवश्य होता है, और बिना भैरव दर्शन शक्तिपीठ दर्शन अधूरे ही माने जाते है।

Shri Bhairav Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

ॐ जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
सुर नर मुनि सब करते, सुर नर मुनि सब करते, प्रभु तुमरी सेवा ॥
॥ ॐ जय भैरव देवा…॥

तुम्ही पाप उद्धारक, दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक, भीषण वपु धारक ॥
॥ ॐ जय भैरव देवा…॥

वाहन श्वान विराजत, कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी, जय जय भयहारी ॥
॥ ॐ जय भैरव देवा…॥

तुम बिन शिव की सेवा सफल नहीं होवे ।
चतुर मतिका दीपक, दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ ॐ जय भैरव देवा…॥

तेल चटकी दधि मिश्रित माषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करो नहीं देरी ॥
॥ ॐ जय भैरव देवा…॥

पाँव घुँघरू बाजत, डमरू डम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ ॐ जय भैरव देवा…॥

श्री भैरव की आरती जो कोई नर गावे ।
सो नर जग में मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय भैरव देवा…॥

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Satyanarayan ji ki Aarti Lyrics in Hindi Jai Lakshmi Ramna जय लक्ष्मी रमणा सत्यनारायण जी की आरती हिंदी में https://prabhupuja.com/satyanarayan-ji-ki-aarti-lyrics-in-hindi-jai-lakshmi-ramna/ https://prabhupuja.com/satyanarayan-ji-ki-aarti-lyrics-in-hindi-jai-lakshmi-ramna/#respond Sun, 12 Nov 2023 02:32:18 +0000 https://prabhupuja.com/?p=1373 Satyanarayan ji ki Aarti Lyrics in Hindi Jai Lakshmi Ramna जय लक्ष्मी रमणा सत्यनारायण भगवान की आरती हिंदी में

Satyanarayan ji ki Aarti Lyrics in Hindi

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रत्न जडि़त सिंहासन, अद्भुत छवि राजै ।
नारद करत निराजन, घण्टा ध्वनि बाजै ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भए कलि कारण, द्विज को दरस दियो ।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कराल, जिन पर कृपा करी ।
चंद्रचूड़ एक राजा, जिनकी बिपति हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर अस्तुति किन्हीं ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा ।

भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्यो ।
श्रद्धा धारण किन्ही, जिनको काज सरयो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयाल हरी॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा ।

चढ़त प्रसाद सवायो कदली फल, मेवा।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा ।

श्री सत्यनारायण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी तन-मन सुख सम्पत्ति मनवांछित फल पावै॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा ।

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

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Santoshi Mata Ki Aarti Full with Lyrics in Hindi संतोषी माता की आरती सम्पूर्ण हिंदी में https://prabhupuja.com/santoshi-mata-ki-aarti-full-with-lyrics-in-hindi-jai-santoshi-mata/ https://prabhupuja.com/santoshi-mata-ki-aarti-full-with-lyrics-in-hindi-jai-santoshi-mata/#respond Sat, 11 Nov 2023 03:18:01 +0000 https://prabhupuja.com/?p=1347 Santoshi Mata Ki Aarti Full with Lyrics in Hindi Jai Santoshi Mata संतोषी माता की आरती सम्पूर्ण हिंदी में जय संतोषी माता, संतोषी माता भगवान गणेश जी की पुत्री है। संतोषी माता की आरती करने वाले के जीवन में सुख और समृद्धि आती है। जो भी महिला संतोषी माता का लगातार 16 शुक्रवार व्रत करती है, तो कहा जाता है की उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। जैसा कि नाम है माता का “संतोषी माता” ठीक उसी तरह जो भी संतोषी माता की सेवा करता है। उसके जीवन के सभी दुःख, परेशानियाँ माता दूर कर देती है और उसके जीवन में संतोष भर देती है।

Santoshi Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की, सुख संपत्ति दाता।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

सुंदर, चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करूणामयी, त्रिभुवन मन मोहे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ..

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोग धरें न्यारे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

दुखी, दरिद्री, रोगी, संकटमुक्त किए।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे।
ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

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Santoshi Mata Ki Aarti lyrics in hindi Image
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Durga Ji Ki Aarti Full with Lyrics in Hindi Jai Ambe Gauri दुर्गा जी की आरती सम्पूर्ण हिंदी में https://prabhupuja.com/durga-ji-ki-aarti-full-with-lyrics-in-hindi-jai-ambe-gauri/ https://prabhupuja.com/durga-ji-ki-aarti-full-with-lyrics-in-hindi-jai-ambe-gauri/#respond Thu, 09 Nov 2023 14:51:25 +0000 https://prabhupuja.com/?p=1324 Durga Ji Ki Aarti Full with Lyrics in Hindi Jai Ambe Gauri दुर्गा जी की आरती सम्पूर्ण हिंदी में

Durga Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi दुर्गा जी की आरती हिंदी में

जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ओम जय अंबे गौरी

मांग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्जवल से दो‌उ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
ओम जय अंबे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
ओम जय अंबे गौरी

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी। सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
ओम जय अंबे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
ओम जय अंबे गौरी

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
ओम जय अंबे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय अंबे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी। आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
ओम जय अंबे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूं। बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
ओम जय अंबे गौरी

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्‍तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
ओम जय अंबे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी। मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
ओम जय अंबे गौरी

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
ओम जय अंबे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो को‌ई नर गावै। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
ओम जय अंबे गौरी, ओम जय अंबे गौरी

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Shiv Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi and English शिव जी की आरती लिरिक्स हिंदी व इंग्लिश https://prabhupuja.com/shiv-ji-ki-aarti-lyrics/ https://prabhupuja.com/shiv-ji-ki-aarti-lyrics/#respond Mon, 06 Nov 2023 16:15:02 +0000 https://prabhupuja.com/?p=1300 Shiv Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi and in English, Jai Shiv Omkara शिव जी की आरती लिरिक्स हिंदी व इंग्लिश में, Bholenath Aarti, Mahadev Aarti, Shankar Ji Ki Aarti

Shiv Ji Ki Aarti (Jai Shiv Omkara Aarti) Lyrics in Hindi

ॐ जय शिव ओमकारा, प्रभु हरी शिव ओमकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ।।
।। ॐ जय शिव ओमकारा ।।

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ।।
।। ॐ जय शिव ओमकारा ।।

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज ते सोहे ।
तीनो रूप निरखता त्रिभुवन मन मोहे ।।
।। ॐ जय शिव ओमकारा ।।

अक्षमाला बनमाला मुंडमाला धारी ।
चंदन मृगमद चंदा भोले शुभकारी ।।
।। ॐ जय शिव ओमकारा ।।

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
ब्रहमादिक सनकादिक भूतादिक संगे ।।
।। ॐ जय शिव ओमकारा ।।

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालनकर्ता ।।
।। ॐ जय शिव ओमकारा ।।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ।।
।। ॐ जय शिव ओमकारा ।।

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत नित उठि दर्शन पावत महिमा अति भारी ।।
।। ॐ जय शिव ओमकारा ।।

त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई जन गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ।।
।। ॐ जय शिव ओमकारा ।।

Shiv Ji Ki Aarti (Jai Shiv Omkara Aarti) Image

Shiv Ji Ki Aarti (Jai Shiv Omkara) Lyrics in English

OM JAI SHIV OMKARA, PRABHU JAI SHIV OMKARA
BRAHMA VISHNU SADA SHIV, ARDHANGII DHARA
OM JAI SHIV OMKARA…

EKANANA CHATURANAN PANCHANAN RAJE
HANSANAN, GARURAASAN VRISHVAHAN SAJE
OM JAI SHIV OMKARA….

DO BHUJA, CHAAR CHATURBHUJA DASHABHUJA ATI SOHE
TIINON ROOP NIRAKHATE TRIBHUVAN JAN MOHE
OM JAI SHIV OMKARA…

AKSAMALA VANAMALA MUNDAMALA DHARI
CHANDANA MRIGAMAD SOHAI BHAALE SHASHIDHAARI
JAI SHIV OMKARA…

SHVETAMBARA PIITAMBARA BAAGHAMBARA ANGE
BRAHMADHIK SANAKAADHIK PRETAADHIK SANGE
OM JAI SHIV OMKARA…

KARA MADHYE KAMANDALU AU TRISHUL DHARI
JAGKARTA JAGHARTA JAGAPALAN KARTA
JAI SHIV OMKARA…

BRAHMA VISHNU SADASHIVA JANATA AVIVEKA
PRANAVAKSAR KE MADHAYA TINONH EKA
OM JAI SHIV OMKARA…

TRIGUN SWAMI KI AARTI JO KOI NAR GAVE
KAHATA SHIVANANDA SWAMI MANA VANCHITA PHALA PAVE
JAI SHIV OMKARA…

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Ahoi Ashtami Vrat Katha Pujan Vidhi अहोई अशोकाष्टमी व्रत कथा व पूजन विधि https://prabhupuja.com/ahoi-ashtami-vrat-katha-pujan-vidhi/ https://prabhupuja.com/ahoi-ashtami-vrat-katha-pujan-vidhi/#respond Mon, 30 Oct 2023 09:14:37 +0000 https://prabhupuja.com/?p=1185 Ahoi Ashtami Vrat Katha Pujan Vidhi अहोई अशोकाष्टमी व्रत कथा व पूजन विधि, यह व्रत कार्तिक माह की अष्टमी के दिन किया जाता है। जिस वार की दीपावली होती है अहोई आठे भी उसी वार की पड़ती है। इस व्रत को वो स्त्रियाँ करती है, जिनके संतान होती है।बच्चों की लम्बी आयु के लिये माँ दिनभर व्रत रखती है।

अहोई व्रत पूजन विधि

सांयकाल पर अष्ट कोष्टकी अहोई की पुतली रंग भरकर बनाए, उस पुतली के पास सेई के बच्चों के चित्र भी बनाये या अहोई अष्टमी का चित्र द्वार पर लगाए और उसका पूजन करके सूर्यास्त के बाद, तारे निकलने पर अहोई माता की पूजा करने से पहले पृथ्वी को पवित्र करके चौक पुर कर एक लोटे में जल भरकर एक पाटे पर कलश की भांति रखकर पूजा करे।अहोई माता का पूजन करके मातायें कहानी सुने।

पूजा के लिये मातायें एक चाँदी की अहोई बनाए जिसे स्याऊ भी कहते है, और उसमे चाँदी के दाने “मोती बनवाले”, जिस तरह गले के हार में पेंडल लगा होता है। उसी भांति चाँदी की अहोई माता डलवा ले। फिर अहोई माता की रोली, चावल, दूध व भात से पूजा करे, जल से भरे लोटे पर साठिया बनाए और सात दाने गेहू लेकर अहोई स्याऊ की माला लेकर कहानी सुने । कहानी सुनने के बाद अहोई स्याऊ की माला को गले में पहन ले । जो वायना निकाले उसे सासूजी के पांव लगकर उन्हे दे देवें।

इसके बाद चन्द्रमा को अर्घ देकर स्वयं भोजन करे । दीपावली के बाद किसी शुभ दिन अहोई को गले से उतार कर उसका गुड़ से भोग लगावे और जल के छींटे देकर मस्तक झुकाकर रख दे, जितने बेटे हो उतनी बार तथा जितने बेटो का विवाह हो गया हो, उतनी बार चाँदी के दो-दो दाने अहोई में डालती जावे। ऐसा करने से अहोई देवी प्रसन होकर बच्चों को दीर्घाऊ करती है साथ ही घर में नित नये मंगल करती रहती है । उस दिन पंडितो को पेठा दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

अहोई का व्रत दिन भर किया जाता है। जिस समय तारा मंडल आकाश में उदय हो जाये उस समय जल का लोठा रखकर चाँदी की स्याऊ और गुड़िया रखकर मौली में पो लेवे तत्पश्यात रोली चावल से अहोई माता के सहित स्याऊ माता को हलुआ आदि का भोग लगाकर कहानी सुने।

अहोई पूजा का उजमन

जिस स्त्री के बेटा हुआ हो अथवा बेटे का विवाह हुआ हो तो उसे अहोई माता का उजमन करना चाहिये। एक थाली में आठ जगह चार-चार पुड़िया रखकर उन पर थोड़ा हलवा रखे, इसके साथ ही एक पिली साड़ी, ब्लाउज उस पर सामर्थ्य अनुसार रूपए रखकर थाल के हाथ फेर कर श्रद्धा पूर्वक सासुजी के पांव लगकर पूरा सामान सासूजी को दे देवे। सासूजी साड़ी और रूपए अपने पास रख ले तथा हलवा पूरी का वायना बाँट दे। बहन-बेटी के घर भी वायना भेजना चाहिये।

अहोई व्रत कथा

एक नगर में एक साहूकारनी रहा करती थी। उसके सात लड़के थे। एक दिन उसे मिट्टी की जरुरत पड़ी, तो वो खेत पर मिट्टी लेने गई । उसने जैसे ही कुदाली मारी त्योंही सेही के बच्चे कुदाल की चोट से सदा के लिये सो गए। इसके बाद जब कुदाल को उसने सेही के खून से सना देखा तो उसे सेही के बच्चों के मर जाने का बड़ा दुःख हुआ परन्तु वह विवश थी और यह पाप उससे अनजाने में हो गया था।

इसके बाद वह बिना मिट्टी लिये ही खेद करती हुई अपने घर आ गई और उधर जब सेही अपने घर में आई तो अपने बच्चों को मरा देखकर नाना प्रकार से विलाप करने लगी और दुराशीष देने लगी कि जिसने मेरे बच्चों को मारा है, उसे भी इसी प्रकार का कष्ट होना चाहिए। तत्पश्यात सेही के श्राप से सेठानी के सातो पुत्र एक ही साल के अंदर मर गए। इस प्रकार अपने बच्चों की असमय में काल के मुँह में चले जाने पर सेठ-सेठानी इतने दुखित हुए कि उन्होने किसी तीर्थ पर जाकर अपने प्राणो को तज देना उचित समझा।

इसके बाद वे घर बार छोड़कर पैदल ही किसी तीर्थ की ओर चल दिये ओर खाने-पीने की ओर कोई ध्यान ना देकर जब तक उनमे शक्ति ओर साहस रहा तब तक वे चलते ही रहे और जब वे पूर्णतया अशक्त हो गए तो अंत में मूर्छित होकर गिर पड़े। उनकी यह दशा देखकर भगवान करुणा सागर ने उनको मृत्यु से बचाने के लिये उनके पापो का अंत चाहा और इस अवसर पर आकाशवाणी हुई कि- हे सेठ! तेरी सेठानी ने मिट्टी खोदते समय ध्यान ना देकर सेही के बच्चों को मार दिया था, उसके कारण तुम्हे अपने बच्चों का दुःख देखना पड़ा।

यदि अब पुनः घर जाकर तुम मन लगाकर गऊ की सेवा करोगे और अहोई देवी का विधि विधान से व्रत आरम्भ कर प्राणियों पर दया रखते हुए स्वप्न में भी किसी को कष्ट नहीं दोगे, तो तुम्हे भगवान की कृपा से पुनः संतान का सुख प्राप्त होगा। इस प्रकार आकाशवाणी सुनकर सेठ-सेठानी कुछ आशावान हो गए और भगवती देवी का स्मरण करते हुए अपने घर की और चल दिये। इसके बाद श्रद्धा शक्ति से न केवल अहोई माता के व्रत के साथ गऊ माता की सेवा करना आरम्भ कर दिया अपितु सब जीवों पर दया भाव रखते हुए क्रोध और द्वेष का परित्याग कर दिया।

ऐसा करने के पश्यात अहोई माता की कृपा से सेठ-सेठानी पुनः सात पुत्रो वाले होकर और अगणित पोत्रों के सहित संसार में नाना प्रकार के सुखो को भोगने के पश्यात स्वर्ग को चले गए। अहोई माता ने जैसी कृपा सेठ-सेठानी पर करी ऐसी कृपा माता सब पर करे बोलो अहोई माता की जय।

आरती श्री अहोई माता की

जय अहोई माता, मइया जय अहोई माता।

तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता॥ जय अहोई माता॥

ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता॥ जय अहोई माता॥

माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता॥ जय अहोई माता॥

तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता॥जय अहोई माता॥

जिस घर तुम्हरो वासा, ताहि घर गुण आता।
कर न सके सोई कर ले, मन नहीं घबराता॥ जय अहोई माता॥

तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता॥ जय अहोई माता॥

शुभ गुण सुंदर युक्ता, क्षीर निधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता॥ जय अहोई माता॥

श्री अहोई मां की आरती जो कोई जन गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता॥ जय अहोई माता॥

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Om Jai Jagdish Hare आरती ओम जय जगदीश हरे https://prabhupuja.com/om-jai-jagdish-hare/ https://prabhupuja.com/om-jai-jagdish-hare/#respond Mon, 23 Oct 2023 11:31:16 +0000 https://prabhupuja.com/?p=1098 Om Jai Jagdish Hare व‍िष्‍णुजी की आरती, विष्णु भगवान की आरती, आरती ओम जय जगदीश हरे भगवान विष्णु की स्तुति में प्रयुक्त होती है। वो ही जगदीश्वर है। इस महान रचना के रचयिता पं. श्रद्धाराम शर्मा या पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी थे। यह आरती सभी सनातन धर्म प्रेमियों द्वारा सबसे ज्यादा गाई जाने वाली आरती है। Aarti shri jagdishwar ji ki lyrics
Anuradha Paudwal Om Jai Jagdish Hare Lyrics
Jagdish Ji Ki Aarti
विष्णु भगवान की आरती PDF
विष्णु जी की आरती हिंदी में
om jai jagdish hare

विष्णु भगवान की आरती ओम जय जगदीश

Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics in Hindi

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥

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