Amalaki Ekadashi Vrat Vidhi Katha आमलकी (आंवला) एकादशी व्रत को करने की विधि हम यहाँ विस्तार से समझा रहे है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को “आमलकी या आमला या आंवला एकादशी” कहा जाता है। जैसा कि नाम से वर्णित हो रहा है “आमला एकादशी” इस दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है। आंवले के पेड़ को हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है।
Amalaki Ekadashi Vrat Vidhi आमलकी एकादशी व्रत विधि
- आमला(आंवला) एकादशी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर भगवान विष्णु और परशुराम भगवान की पूजा करने के लिए स्नान करें और स्वच्छ सफ़ेद वस्त्र धोती-दुपट्टा-यज्ञोपवीत धारण करें। ब्रह्म मुहूर्त में उठना सबसे उत्तम है।
- पूजन सामग्री: प्रातःकाल ही विष्णु भगवान और परशुराम भगवान की पूजा के लिए सामग्री तैयार कर ले। पूजा के लिये शुद्ध जल, कुशा, आम के पत्ते, पीले पुष्प, पीले वस्त्र, फल, प्रसाद, धूप, दीप, लौंग, दूध, चीनी, गंगाजल, पान, सुपारी, घी, कपूर, मोली(कलेवा या लच्छा), फूल माला, रुई, हवन सामग्री और धातु के कलश की आवश्यकता होती है।
- पूजन का समय: प्रातः काल के समय विष्णु भगवान और परशुराम भगवान का पूजन कर लेना चाहिए।
- मंत्र जाप: पूजा के समय विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करते रहे।
- इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे कलश स्थापित करके धूप, दीप, नैवेद्य, और पंचरत्न आदि से परशुराम भगवान की पूजा की जाती है।
- तुलसी के साथ गुड़ आंवले से बनी मिठाई का भोग लगाएं। (ध्यान रखे इस दिन तुलसी ना तोड़े एक दिन पहले ही तुलसी दल सहेज कर रख ले।)
- “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जप करें।
- पूजन के अंत में भगवान विष्णु की आरती और एकादशी देवी की आरती जरूर करें।
- भगवान विष्णु पूजन के पश्यात आमला(आंवला) एकादशी व्रत की कथा सुननी चाहिए।
Amalaki Ekadashi Vrat Significance आमलकी एकादशी व्रत का महत्व या लाभ
- आमला एकादशी का व्रत समस्त पापो का नाश करने वाला होता है।
- आमला एकादशी व्रत करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
- आमला एकादशी का व्रत करने से जन्म-जन्मान्तरों के पापो का नाश होता है जिससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- आमला एकादशी व्रत इस भूलोक में समाज के अंदर उच्च स्थान प्राप्त करवाता है।
- आमला एकादशी का व्रत करने वाले की शत्रुओ से रक्षा होती है ।
- आमला एकादशी करने वाला अगले जन्म मे समस्त सुखो को पाता है ।
Amalaki Ekadashi Vrat Rules आमलकी एकादशी व्रत की सावधानियां या नियम
- आमला एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे कलश स्थापित करके धुप, दीप, नैवेद्य, पंचरत्न आदि से परशुराम भगवन की पूजा की जाती है।
- आमला एकादशी व्रत के दिन आंवले का सागार होता है।
- आमला एकादशी पर पूर्ण उपवास रखा जाता है। उपवास के दिन एक बार फलाहार किया जा सकता है।
- आमला एकादशी पर चावल न खाएं साथ ही मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली भी नहीं खाई जाती है। एकादशी पर तामसिक भोजन वर्जित होता है।
- आमला एकादशी पर पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है। एक दिन पहले और पारण के दिन याने अगले दिन तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करे ।
- आमला एकादशी पर किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा दिया गया अन्न भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। इससे आपका पुण्य शीर्ण होता है।
Amalaki Ekadashi Vrat Katha आमलकी एकादशी व्रत की कथा
श्री कृष्ण जी बोले- हे युधिष्ठिर फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम आमला एकादशी है। एक समय वशिष्ठ मुनि से मांधाता राजा ने पूछा कि समस्त पापों का नाश करने वाला कौन सा व्रत है गुरुवार वो मुझसे कहिये। वशिष्ठ जी बोले- पौराणिक इतिहास कहता हूं। वैश्य नाम की नगरी में चंद्रवंशी राजा चैत्ररथ राज्य किया करता था। वह बड़ा धर्मात्मा था। प्रजा भी उसकी वैष्णव थी। बालक से लेकर वृद्ध तक एकादशी व्रत किया करते थे। एक बार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी आई और नगर वासियों ने रात्रि को जागरण किया मंदिर में कथा कीर्तन करने लगे।
इस समय एक बहेलिया जो कि जीव हिंसा से उदर पालन किया करता था। मंदिर के कोने में जा बैठा। आज वह शिकारी घर से रूठ चुका था। दिन भर खाया पिया भी कुछ न था। रात्रि को दिल बहलाने के लिए मंदिर के कोने में जाकर चुप बैठा था। वहां विष्णु भगवान की कथा तथा एकादशी व्रत का महत्व उसने सुना। वहीं रात्रि व्यतीत की, प्रातः काल घर को चला गया। भोजन न पाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। आंवला एकादशी का महत्व सुनने और निर्जल उपवास करने के प्रभाव से उसका अगला जन्म राजा विधुरत के घर पर हुआ।
नाम उसका वसूरत प्रसिद्ध हुआ। वह बड़ा ही धर्मात्मा राजा हुआ। एक दिन राजा वसूरत वन विहार करने को गया और उसे दिशा का ज्ञान ना रहा। रास्ता भटकने के कारण रात्रि में थक हार कर राजा वन में ही सो गया। आज राजा ने आमला एकादशी का व्रत रखा था। उपवास किया और सोते समय भगवान का ध्यान लगाकर सो गया। इधर मलेछो ने राजा को वन में अकेला देखा। मलेछो के ही संबंधियों को राजा ने किसी दोष के कारण दंड दिया था। इस कारण वे उसे मारना चाहते थे।
राजा को वन में अकेला देख वे सभी उसे सोते हुए में ही मारने आए। उसी समय राजा के शरीर से एक सुंदर कन्या उत्पन्न हुई। वह आमला एकादशी व्रत के प्रभाव से उत्पन्न हुई थी। कालिका के समान अट-अट करके उसने खप्पर फिराया और मलेछो के रुधिर की भिक्षा लेकर अंतर्ध्यान हो गई। जब राजा निद्रा से जागा तो उसने शत्रुओ को मरा हुआ देखा और आश्चर्य चकित हुआ। मन में कहने लगा मेरी रक्षा किसने की। तभी आकाशवाणी हुई आमला एकादशी के प्रभाव से राजन तेरी रक्षा विष्णु भगवान ने की है।
राजा नतमस्तक हुआ और प्रजा संग आमला एकादशी का व्रत और अधिक श्रद्धा पूर्वक करने लगा।
आमलकी एकादशी व्रत में ध्यान रखने योग्य बाते
- गर्भवती महिलाएं, बीमार लोग और छोटे बच्चे अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार व्रत का पालन करें।
- व्रत को केवल धर्म या परंपरा से अधिक आस्था और भक्ति के साथ करें।
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FAQ
आंवला एकादशी के दिन क्या करना चाहिए?
आमला एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे कलश स्थापित करके धुप, दीप, नैवेद्य, पंचरत्न आदि से परशुराम भगवन की पूजा की जाती है।
आमला एकादशी में क्या खाना चाहिए?
आमला एकादशी व्रत के दिन आंवले का सागार होता है।आमला एकादशी पर पूर्ण उपवास रखा जाता है। उपवास के दिन एक बार फलाहार किया जा सकता है।
आमला एकादशी पर चावल न खाएं साथ ही मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली भी नहीं खाई जाती है। एकादशी पर तामसिक भोजन वर्जित होता है।