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Budhavar Vrat Vidhi Katha बुधवार व्रत की सम्पूर्ण विधि कथा व महत्त्व

Budhavar Vrat Vidhi Katha बुधवार व्रत की सम्पूर्ण विधि कथा व महत्त्व

Budhavar Vrat Vidhi Katha Wednesday Vrat बुधवार व्रत की सम्पूर्ण विधि, कथा व महत्त्व का वर्णन हम यहाँ विस्तार से आपसे साझा कर रहे है। बुध गृह की शांति तथा सर्व-सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को बुधवार का व्रत करना चाहिए तथा श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र तथा श्वेत चन्दन से बुध भगवान की पूजा करनी चाहिए। बुधवार का व्रत 45, 21 या 17 बुधवार तक करना चाहिए। इस व्रत में दिन में एक ही बार भोजन करना चाहिए। सफ़ेद वस्तु का दान भी करना चाहिए।

इस व्रत के समय हरी वस्तुओ का उपयोग करना श्रेष्ट होता है। व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा, धुप, दीप, बिल्व-पत्र आदि से करनी चाहिए। साथ ही बुधवार की कथा सुनकर आरती के बाद प्रसाद लेकर ही उठना चाहिए।

Budhavar Vrat Vidhi बुधवार व्रत कैसे करे (बुधवार व्रत की विधि)

  1. बुधवार के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर बुध ग्रह की पूजा करने के लिए स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। ब्रह्म मुहूर्त में उठना सबसे उत्तम है।
  2. पूजन सामग्री: प्रातःकाल ही बुध ग्रह की पूजा के लिए सामग्री तैयार कर ले। पूजा के लिये जल, श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र, श्वेत चन्दन, फल, श्वेत मिष्ठान, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, लौंग, पान, सुपारी, घी, कपूर, मोली(कलेवा या लच्छा), फूल माला, रुई और धातु के कलश की आवश्यकता होती है।
  3. पूजन का समय: सुबह के समय दिन के तीसरे प्रहर तक बुध भगवान का पूजन कर लेना चाहिए।
  4. मंत्र जाप: पूजा के समय बुध ग्रह के मंत्रों का जाप करते रहे।
  5. बुधवार व्रत में नमक रहित मूंग से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए। दिन और रात में केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करे। प्रातः पूजन के उपरान्त कभी भी एक समय भोजन किया जा सकता है। मूंग का हलवा, मूंग की पंजीरी, मूंग के लडडू का सेवन किया जा सकता है। भोजन से पहले तीन तुलसी के पत्ते चरणामृत या गंगाजल के साथ खाकर तब भोजन करना चाहिए।
  6. पूजन के अंत में बुध भगवान की आरती जरूर करें।
  7. बुध भगवान पूजन के पश्यात बुधवार व्रत कथा सुननी चाहिए।
  8. बुधवार कथा पढ़ने-सुनने के बाद श्री बुध कवचं, श्री बुध स्तुति और बुध पंचविंशतिनाम स्त्रोत्रं का पाठ करने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है।

Budhavar Vrat Rules बुधवार व्रत के नियम

  1. बुधवार व्रत के दिन सात्विक भोजन करें, मांस-मदिरा का सेवन इस दिन पूर्ण वर्जित होता है।
  2. पूरे दिन में भोजन बिना नमक वाला एक समय ही करना चाहिए, भोजन या फलाहार से पूर्व बुध भगवान का पूजन कर लेना चाहिए।
  3. श्री बुध कवचं, श्री बुध स्तुति का पाठ और बुध मन्त्र की 17 माला जरूर करें।
  4. बुधवार व्रत की कथा जरूर पढ़ें या सुनें ।
  5. आपके नजदीक जो भी बुध या शिव मंदिर हो, वहाँ सपरिवार दर्शन करने जरूर जाए। बुध भगवान जी की कृपा से परिवार निरोगी रहेगा।
  6. बुध ग्रह का राशि-भोग काल: बुध ग्रह एक मास में राशि का भोग करता है, अर्थात एक राशि पर एक माह तक रहता है।
  7. बुध ग्रह की दृष्टि: बुध ग्रह जिस भाव में बैठा हो उसमे तीसरे तथा दसवें भाव को ‘एक पाद’ दृष्टि से, नवे तथा पांचवे भाव को ‘द्वि पाद’ दृष्टि से, चौथे तथा आठवें भाव को त्री पाद दृष्टि से तथा सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है।
  8. बुध ग्रह की जाति: बुध ग्रह की जाति ‘वैश्य’ जाति है।
  9. बुध ग्रह का रंग: बुध ग्रह का रंग हरा रंग होता है।
  10. बुध ग्रह वाणी का अधिष्ठाता ग्रह है।
  11. बुध ग्रह शुभ ग्रह की श्रेणी में आता है।
  12. बुध ग्रह की दान वस्तुएँ: कपूर, मूंग, हरा वस्त्र, हरी मणि, कासे का बर्तन, सोना, धृत, हाथी दांत, हरे फूल, पन्ना, शस्त्र, फल और मिश्री। दान का सबसे उत्तम समय सूर्योदय से 5 घडी तक ही रहता है।

Budhavar Vrat Mantra बुधवार व्रत का मंत्र

बुध ग्रह की जप संख्या: बुध ग्रह की जप संख्या 8000 जप की है।
बुध मन्त्र – ॐ बुं बुधाय नमः ।
बुध ग्रह का वैदिक मन्त्र(बीज मंत्र) – ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ।

Budhavar Vrat Significance बुधवार व्रत का महत्त्व या फायदे

  1. बुधवार का व्रत करने से विद्या और धन का लाभ होता है
  2. जिस किसी की कुंडली में बुध की दृष्टि कमजोर हो उसे बुधवार व्रत जरूर करना चाहिए। इससे उसका बुध मजबूत होता है ।
  3. बुधवार के दिन बुध भगवान की पूजा-अर्चना करने से व्यापार में उन्नति होती है ।
  4. जिस किसी को वाणी में तेज और सम्मोहन लाना हो उसे बुध भगवान का बुधवार व्रत अवश्य करना चाहिए। बड़े-बड़े वक्ताओं का बुध ग्रह का भाव बहुत मजबूत होता है ।
  5. वकील, नेता, आरजे आदि को बुधवार व्रत अवश्य करना चाहिए। जैसा की ऊपर कहा भी गया है कि बुध ग्रह वाणी का अधिष्ठाता ग्रह है।

Budhavar Vrat Aarti बुधवार व्रत की आरती( बुध भगवान की आरती) Budh Bhagwan ki Aarti

आरती युगलकिशोर की कीजै ।
तन मन धन न्योछावर कीजै ॥

गौरश्याम मुख निरखन लीजै ।
हरि का रूप नयन भरि पीजै ॥

रवि शशि कोटि बदन की शोभा ।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा ॥

ओढ़े नील पीत पट सारी ।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी ॥

फूलन सेज फूल की माला ।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला ॥

कंचन थार कपूर की बाती ।
हरि आए निर्मल भई छाती ॥

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी ।
आरती करें सकल नर नारी ॥

नंदनंदन बृजभान किशोरी ।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी ॥

Budhavar Vrat Katha बुधवार व्रत की कथा(बुधवार व्रत की पौराणिक कथा)

पौराणिक कथा के अनुसार कुंदनपुर नामक नगर में मधुसुदन नाम का व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने पत्नी के मायके पहुंचा। कुछ दिवस रहने के पश्यात मधुसुदन ने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने के लिये कहा। किन्तु बुधवार का दिन होने के कारण उसके सास-ससुर ने विदा करने के लिए मना किया कि आज के दिन गमन नहीं करते। लेकिन वह नहीं माना और हठ करके पत्नी को मायके से विदा कराकर अपने घर की तरफ चल दिया।

रास्ते में उसे कई परेशानियों को झेलना पड़ा। उसकी बैलगाड़ी टूट गई। फिर उन दोनों को दूर तक पैदल चलना पड़ा। उसकी पत्नी को प्यास लगने लगी, तो मधुसुदन पानी लाने के लिए गया। लेकिन जब वह वापस लौटा तो उसने अपनी पत्नी के पास अपने ही रूप वाले व्यक्ति को पाया। दोनों में बहुत लड़ाई हुई । बिना अपराध के गलतफहमी के कारण मधुसुदन को उस राज्य के राजा ने सजा सुना दी। तब मधुसूदन परेशान होकर ईश्वर से बोला- हे! परमेश्वर यह क्या लीला है आपकी ?, आज क्या गलती हो गई मुझसे, तब आकाशवाणी हुई कि मुर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना था। तूने किसी की बात नहीं मानी। यह लीला बुधदेव भगवान की है।

इसके बाद मधुसूदन माफी मांगता है कि बुधदेव मुझे माफ कर दें। अब कभी किसी शुभ काम के लिए इस दिन यात्रा नहीं करुंगा और हर बुधवार को व्रत भी किया करुंगा। इस प्रार्थना के बाद बुध देव ने उसे माफ कर दिया। मधुसूदन के रूप में आये भगवान बुध अंतर्ध्यान हो गए। राजा और सभी लोग इसे देखकर हैरान हो गए। इसके बाद राजा ने मधुसूदन और उसकी पत्नी को सम्मान के साथ विदा किया। जब दोनों सकुशल घर आ गए तब इसके बाद मधुसूदन और उसकी पत्नी हर बुधवार के दिन विधि के साथ व्रत करने लगे और इसके बाद दोनों सुख के साथ अपना जीवन यापन करने लगे।

जो व्यक्ति कथा को श्रवण करता है तथा दूसरों को सुनाता है। उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है और उसे सर्व प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

श्री बुध कवचं Budha Graha Kavacham

विनियोग – अस्य श्री बुधकवचस्तोत्रमन्त्रस्य, कश्यप ऋषिः,

अनुष्टुप् छन्दः, बुधो देवता, बुधप्रीत्यर्थं पाठे विनियोगः ॥

अथ बुध कवचम्

बुधस्तु पुस्तकधरः कुङ्कुमस्य समद्युतिः

पीताम्बरधरः पातु पीतमाल्यानुलेपनः ‖

कटिं च पातु मे सौम्यः शिरोदेशं बुधस्तथा

नेत्रे ज्ञानमयः पातु श्रोत्रे पातु निशाप्रियः ‖

घाणं गन्धप्रियः पातु जिह्वां विद्याप्रदो मम

कण्ठं पातु विधोः पुत्रो भुजौ पुस्तकभूषणः ‖

वक्षः पातु वराङ्गश्च हृदयं रोहिणीसुतः

नाभिं पातु सुराराध्यो मध्यं पातु खगेश्वरः |‖

जानुनी रौहिणेयश्च पातु जङ्घ्??उखिलप्रदः

पादौ मे बोधनः पातु पातु सौम्यो??उखिलं वपुः| ‖

अथ फलश्रुतिः

एतद्धि कवचं दिव्यं सर्वपापप्रणाशनम्

सर्वरोगप्रशमनं सर्वदुःखनिवारणम् |‖

आयुरारोग्यशुभदं पुत्रपौत्रप्रवर्धनम्

यः पठेच्छृणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् |

|| इति श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे बुध कवच सम्पूर्णम् ||

श्री बुध स्तुति

जय शशि नन्दन बुधे महाराजा , करहु सकल जन कहँ शुभ काजा । 

दीजै बुद्धिबल सुमति सुजाना , कठिन कष्ट हरि करि कल्याना । 

 हे तारासुत रोहिणी नन्दन , चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन । । 

पूजहु आस दास कहुँ स्वामी , प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी । ।

बुध पंचविंशतिनाम स्त्रोत्रं Budha Panchavimshatinama Stotram

विनियोग – अस्य श्री बुध पंचविंशतिनाम स्त्रोत्रंस्य, प्रजापति ऋषिः,

त्रिष्टुपछन्दः, बुधो देवता, बुधप्रीत्यर्थं पाठे विनियोगः ॥

अथ बुध पंचविंशतिनाम स्त्रोत्रं

 बुधो बुद्धिमतां श्रेष्ठो बुद्धिदाता धनप्रदः।

प्रियंगुकुलिकाश्यामः कञ्जनेत्रो मनोहरः॥ १॥

ग्रहोपमो रौहिणेयः नक्षत्रेशो दयाकरः।

विरुद्धकार्यहन्ता सौम्यो बुद्धिविवर्धनः ॥२॥

चन्द्रात्मजो विष्णुरूपी ज्ञानी ज्ञो ज्ञानिनायकः।

ग्रह्पीडाहरो दारपुत्रधान्यपशुप्रदः ॥३॥

लोकप्रियः सौम्यमूर्तिः गुणदो गुणिवत्सलः।

पञ्चविंशतिनामानि बुधस्यैतानि यः पठेत्॥४॥

स्मृत्वा बुधं सदा तस्य पीडा सर्वा विनश्यति।

तद्दिने वा पठेद्यस्तु लभते स मनोगतम् ॥५॥

FAQ

बुधवार व्रत में क्या खाना चाहिए ?

बुधवार व्रत में नमक रहित मूंग से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए। मूंग का हलवा, मूंग की पंजीरी, मूंग के लडडू का सेवन किया जा सकता है। भोजन से पहले तीन तुलसी के पत्ते चरणामृत या गंगाजल के साथ खाकर तब भोजन करना चाहिए।

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