Dhanteras Puja Vidhi धनतेरस पूजा विधि, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की तेरस को धनतेरस पर्व मनाया जाता है। इस दिन ही धन्वन्तरि भगवान अमृत कलश लेकर समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे। धनतेरस पर्व धन वर्षा का पर्व है। इस दिन जो भी धन्वन्तरि भगवान व कुबेर जी की पूजा अर्चना करता है। उसका स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है और धन की कभी कमी नहीं होती है। धन्वन्तरि जी को आयुर्वेद का जनक कहा जाता है, वे दुनिया के पहले चिकित्सक थे।
धनतेरस पूजा विधि
भगवान धन्वन्तरि के साथ कुबेर की भी पूजा धनतेरस पर की जाती है।
कुबेर देवता की पूजा विधि
धनतेरस के दिन प्रदोष काल(शाम के समय) में धन के देवता कुबेर की पूजा के लिए सबसे पहले तेरह दीपक जला कर धन रखने के स्थान पर कुबेर का निम्न मंत्र से आवाहन करे
अवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु।
कोश वर्द्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।।
आवाहन करने के पश्यात “ॐ कुबेराय नमः” इस नाम मंत्र से गन्धादि- पुष्पादि से पूजन करे।
फिर निम्न मन्त्र से ध्यान करें।
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा
इसके अतिरिक्त निम्न मंत्र से भी कुबेर का ध्यान किया जाता है।
ऊँ श्री ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:।
ध्यान के उपरांत सप्त धान्य(गेंहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) मां लक्ष्मी और कुबेर को अर्पित करने चाहिए और दोनों का पुष्प, अक्षत और धूप आदि से पूजन करना चाहिए। पूजन के पश्चात भोग के लिए श्वेत रंग की मिठाई का प्रयोग श्रेयस्कर है। इस दिन मां लक्ष्मी के पूजन से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
पूजन करने के उपरांत निम्न मन्त्र से प्रार्थना करे
प्रार्थना- धनाध्यक्षाय देवाय नरयानोप वशिने।
नमस्ते राजराजाय कुवेराय महात्मने।।
धन्वन्तरि देवता की पूजा विधि
धनतेरस के दिन प्रात:काल भगवान धन्वंतरि की भी पूजा होती है। पूजन से पहले विष्णु सहस्रनाम का पठन या श्रवण स्वास्थ्य लाभ देता है। भगवान धन्वंतरि का पूजन करने से उपासक को अच्छा स्वास्थ्य मिलता है और वह पूरा जीवन निरोगी रहता है। दीपक रखने से पूर्व खील या चावल रखकर उसके ऊपर दीपक जलाएं। अब एक कलश में शुद्ध जल लेकर भगवान धन्वंतरि को आचमन कराएं और फिर रोली,कुमकुम,हल्दी,गंध,अक्षत,पान,पुष्प,नैवेद्य या मिष्ठान,फल,दक्षिणा आदि उन्हें अर्पित कर प्रणाम करें और अपने रोगों के नाश की कामना करें।
स्नानं समर्पयामि कहकर जल के छींटे देकर स्नान करवाये
वस्त्रं समर्पयामि कहकर मोली चढ़ाये
गन्धकं समर्पयामि कहकर रोली के छींटे देवे
अक्षतं समर्पयामि कहकर चावल चढ़ाये
धूपंघ्रापयामि कहकर धूप दिखाये
दीपकं दर्शयामि कहकर दीपक दिखाये
नैवेद्यम समर्पयामि कहकर नैवेद्य चढ़ाये
आचमनीयां समर्पयामि कहकर जल के छींटे देकर आचमन करे
ताम्बूलं समर्पयामि कहकर पान का पूरा पत्ता चढ़ाये और अंत में
दक्षिणां समर्पयामि कहकर सुपारी व कुछ पैसे चढ़ाये
धन तेरस पर जतलाई निकालने की विधि
धनतेरस की सांयकाल में दीये का पूजन करे और दीये में तेल डालकर उसे चार बत्ती का दीया बनाकर, जल के छींटे दे, रोली, चावल, सुपारी, थोड़ा सा गुड़, फूल, दक्षिणा, धुप रख दे। दीये को उठाकर घर के बाहर चौराहे पर रख दे। जब दीया रखने जाये तो किसी से बात ना करे, दीया रखकर सीधा घर पर आ जाये, हाथ पैर धोकर ही घर का कोई कार्य करे।
धनतेरस पर नया बर्तन ले आवे हो सके तो चाँदी का बर्तन जरूर खरीदे। धनतेरस के दिन झाड़ू भी जरूर खरीदना चाहिये।