Narak Chaturdashi RoopChodas Puja Vidhi कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी या रूप चौदस का पर्व मनाया जाता है। दीपावली के एक दिन पहले रूप चौदस का त्यौहार मनाया जाता है, इसलिये इस दिन को छोटी दीपावली भी कहा जाता है। नाम के अनुसार यह दिन रूप निखार का दिन भी है। दीपावली के एक दिन पहले सजने-संवरने का दिन है। इस दिन यमराज की पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण ने आज ही के दिन नरकासुर राक्षस का वध किया था और सोलह हजार कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त करवाया था।
दीर्घ आयु के लिये धर्मराज(यमराज) को दीपदान विधि
इस दिन नरक से मुक्ति पाने के लिये प्रातः काल तेल लगाकर अपामार्ग अर्थात चिचड़ी के पौधे मिश्रित जल से स्नान करना चाहिये।
नरक चतुर्दशी के दिन सुबह पांच बजे ये पूजा करनी चाहिए। लोहे के बर्तन में सवासेर उड़द, एक लोठा भरकर तेल, यमराज की लोहे की मूर्ति, 16 बर्तन में चार चार लडडू, काले कपड़े, रोली, मोली(कलावा या लच्छा), माला। पूजा करके सुबह एक बार फिर स्नान कर लेना चाहिए।
इस दिन शाम को यमराज के लिये चौराहे पर दीपदान करना चाहिये। दीये को उठाकर घर के बाहर दक्षिण दिशा में रख दे और निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
मृत्युना पाश दण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतामिति॥
जब दीया रखने जाये तो किसी से बात ना करे, दीया रखकर सीधा घर पर आ जाये, हाथ पैर धोकर ही घर का कोई कार्य करे।
रूप चतुर्दशी
इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन प्रातः उठकर आटा, तेल, हल्दी से उबटन करना चाहिये, फिर स्न्नान करले
भोजन करने से पूर्व निम्न प्रकार से पूजन करे
एक थाली में एक चौमुखा दीपक और सोलह या इक्कीस छोटे दीपक रखकर उसमे तेल बत्ती डालकर जला दे फिर रोली, अबीर, गुलाल, पुष्प आदि से पूजा करे। पूजन के पश्यात सब दीपको को घर में विभिन्न स्थानों पर रखे जैसे पूजा के स्थान पर परिंडे(जल रखने का स्थान ) पर, तुलसी के पौधे के नीचे आदि स्थानों पर रख दे, शेष को घर के पास स्थित देवालयों में, साथ ही पीपल के वृक्ष के नीचे रख आये।