Om Jai Jagdish Hare आरती ओम जय जगदीश हरे

Om Jai Jagdish Hare आरती ओम जय जगदीश हरे

Om Jai Jagdish Hare व‍िष्‍णुजी की आरती, विष्णु भगवान की आरती, आरती ओम जय जगदीश हरे भगवान विष्णु की स्तुति में प्रयुक्त होती है। वो ही जगदीश्वर है। इस महान रचना के रचयिता पं. श्रद्धाराम शर्मा या पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी थे। यह आरती सभी सनातन धर्म प्रेमियों द्वारा सबसे ज्यादा गाई जाने वाली आरती है। Aarti shri jagdishwar ji ki lyrics
Anuradha Paudwal Om Jai Jagdish Hare Lyrics
Jagdish Ji Ki Aarti
विष्णु भगवान की आरती PDF
विष्णु जी की आरती हिंदी में
om jai jagdish hare

विष्णु भगवान की आरती ओम जय जगदीश

Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics in Hindi

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥

Om Jai Jagdish Hare Aarti Image

ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में PDF, विष्णु भगवान की आरती PDF Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Download

administrator

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *