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Somvar Vrat Vidhi Katha सोमवार व्रत की सम्पूर्ण विधि, कथा व महत्त्व

Somvar Vrat Vidhi Katha सोमवार व्रत की सम्पूर्ण विधि, कथा व महत्त्व

Somvar Vrat Vidhi Katha सोमवार व्रत की सम्पूर्ण विधि, कथा व महत्त्व का वर्णन हम यहाँ विस्तार से आपसे साझा कर रहे है। सोमवार का व्रत साधारणतया दिन के तीसरे प्रहर तक होता है। सोमवार का दिन हिन्दू धर्म में भगवान शिव को समर्पित है। शिव जी की कृपा प्राप्त करने का एक उपाय सोमवार व्रत भी है। उनकी कृपा से जीवन सुखमय बन जाता हैं। सोमवार के व्रत में शिव जी संग माता पार्वती का पूजन करना चाहिए । सभी स्त्री-पुरुष समान रूप से सोमवार व्रत का पालन करके भोले भंडारी की कृपा प्राप्त कर सकते है।

Types of Somvar Vrat सोमवार व्रत के प्रकार

सोमवार व्रत मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है

  1. साधारण सोमवार व्रत
  2. सोम प्रदोष व्रत
  3. सोलह सोमवार व्रत

इन सभी सोमवार व्रत की सम्पूर्ण विधि की जानकारी आपको यहाँ साझा की जा रही है। आप सभी के जीवन में सोमवार व्रत के आचरण से सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति हो यही प्रयास है।

Somvar Vrat Vidhi सोमवार व्रत कैसे करे (सोमवार व्रत की विधि)

  1. सोमवार के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर भगवान शिव की पूजा करने के लिए स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजन सामग्री: प्रातःकाल ही शिवलिंग व माता पार्वती की पूजा के लिए सामग्री तैयार करले। पूजा के लिये गंगाजल, बेलपत्र, जल, धतूरा, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, चन्दन, लौंग, दूब, पान, सुपारी, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, रुई और धातु के कलश की आवश्यकता होती है।
  3. पूजन का समय: सुबह के समय दिन के तीसरे प्रहर तक शंकर भगवान और माता पार्वती का पूजन कर लेना चाहिए।
  4. मंत्र जाप: पूजा के समय शिव मंत्रों का जाप करते रहे।
  5. व्रत में फलाहार या परायण का कोई ख़ास नियम नहीं है। किन्तु यह आवश्यक है कि दिन और रात में केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करे। प्रातः पूजन के उपरान्त कभी भी एक समय भोजन किया जा सकता है।
  6. पूजन के अंत में शिव जी की आरती जरूर करें।
  7. शिव पूजन के पश्यात सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। प्रत्येक व्रत प्रकार की कथा भी अलग-अलग होती है।

Somvar Vrat Rules सोमवार व्रत के नियम

  1. सोमवार व्रत के दिन सात्विक भोजन करें, मांस-मदिरा का सेवन न करें।
  2. पूरे दिन में भोजन एक समय ही करे, भोजन या फलाहार से पूर्व भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन कर लेना चाहिए।
  3. शिव चालीसा का पाठ करे, महामृत्युंजय मन्त्र या शिव मंत्र की 21 माला जरूर करें।
  4. सोमवार व्रत की कथा जरूर पढ़ें या सुनें ।
  5. सोमवार व्रत के दिन शिव मंदिर जाकर शिव पंचायत का पूजन विशेष फल देता है । आपके नजदीक जो भी शिव मंदिर हो, वहाँ सपरिवार दर्शन करने जरूर जाए। शिव कृपा से परिवार निरोगी रहेगा।
  6. सोमवार व्रत के दिन गौशाला जाकर गौ माता को हरा चारा जरूर डालना चाहिए । शिव आशीर्वाद प्राप्त होता है ।

Somvar Vrat Mantra सोमवार व्रत का मंत्र

शिव मूल मन्त्र का जाप करे
ॐ नमः शिवाय
और
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं

मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।

Somvar Vrat Significance सोमवार व्रत का महत्त्व या फायदे

  1. सोमवार का व्रत रखने से शिव की परम भक्ति प्राप्त होती है। भगवान शिव ऐसे भक्तों पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
  2. जिस किसी की कुंडली में चंद्र कमजोर हो उसे सोमवार व्रत जरूर करना चाहिए। इससे उसका चंद्र मजबूत होता है ।
  3. इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य के सभी दुःख-दर्द दूर होते हैं ।
  4. रोगी मनुष्य में अगर शारीरिक सामर्थ्य हो तो सोमवार व्रत उसे अवश्य करना चाहिए, ताकि वह शिव कृपा प्राप्त कर निरोगी हो सके।
  5. यह व्रत मनुष्य को इस लोक में सुख पूर्वक जीवन निर्वाह के उपरान्त अंत समय को मोक्ष की प्राप्ति कराता है।

Somvar Vrat Aarti सोमवार व्रत की आरती( भगवान शिव जी की आरती) Shiv ji ki Aarti

सोमवार व्रत में भगवान शिव जी की पूजा के बाद शिव जी की आरती की जाती है । शिव आरती का लिंक हम यहाँ दे रहे है आप इस लिंक पर क्लिक करके शिव भगवान की आरती जरूर करे ।
आरती शिव जी की

Somvar Vrat Katha सोमवार व्रत की कथा(सोमवार व्रत की पौराणिक कथा)

एक समय की बात है, किसी नगर में एक साहूकार रहता था. उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बहुत दुखी था. पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था.

उसकी भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती प्रसन्न हो गईं और भगवान शिव से उस साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह किया. पार्वती जी की इच्छा सुनकर भगवान शिव ने कहा कि ‘हे पार्वती, इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों का फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है.’ लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति का मान रखने के लिए उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा जताई.

माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसके बालक की आयु केवल बारह वर्ष होगी. माता पार्वती और भगवान शिव की बातचीत को साहूकार सुन रहा था. उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही दुख. वह पहले की भांति शिवजी की पूजा करता रहा.

कुछ समय के बाद साहूकार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ. जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया. साहूकार ने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ और मार्ग में यज्ञ कराना. जहां भी यज्ञ कराओ वहां ब्राह्मणों को भोजन कराते और दक्षिणा देते हुए जाना.

दोनों मामा-भांजे इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते काशी की ओर चल पड़े. रात में एक नगर पड़ा जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था. लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था वह एक आंख से काना था. राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए एक चाल सोची.

साहूकार के पुत्र को देखकर उसके मन में एक विचार आया. उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं. विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा. लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर दिया गया. लेकिन साहूकार का पुत्र ईमानदार था. उसे यह बात न्यायसंगत नहीं लगी.

उसने अवसर पाकर राजकुमारी की चुन्नी के पल्ले पर लिखा कि ‘तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है. मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं.’

जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई. राजा ने अपनी पुत्री को विदा नहीं किया जिससे बारात वापस चली गई. दूसरी ओर साहूकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया. जिस दिन लड़के की आयु 12 साल की हुई उसी दिन यज्ञ रखा गया. लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है. मामा ने कहा कि तुम अंदर जाकर सो जाओ.

शिवजी के वरदानुसार कुछ ही देर में उस बालक के प्राण निकल गए. मृत भांजे को देख उसके मामा ने विलाप शुरू किया. संयोगवश उसी समय शिवजी और माता पार्वती उधर से जा रहे थे.

शिव जी की कृपा प्राप्त करने के सरल उपाय:

  1. शिव मंदिर में शिवलिंग पर नियमित रूप से जल चढ़ाएं और प्रार्थना करें।
  2. सोमवार के दिन किसी मंदिर में जाकर महादेव के दर्शन करें।
  3. शिव चालीसा का पाठ नियमित रूप से रोज करे, भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होगी ।

सोमवार व्रत में यह ध्यान रखें:

  • गर्भवती महिलाएं, बीमार लोग और छोटे बच्चे अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार व्रत का पालन करें।
  • व्रत को केवल धर्म या परंपरा से अधिक, आस्था और भक्ति के साथ करें।

सोमवार व्रत का पालन आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकता है। महादेव की कृपा से आपका जीवन निरोगी, प्रकाशमय और सफल बन सकता है। भोले भंडारी शीघ्र प्रसन्न होते है, तो आज ही से इस सरल व्रत का अनुष्ठान शुरू करें और महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करें!

FAQ

क्या सोमवार के व्रत में रोटी खा सकते हैं?

सोमवार व्रत को या यो कहे हर व्रत को दो तरह से किया जा सकता है:-
एक तो उपवास करके। जिसमे पूरे एक दिन अन्न नहीं खाया जाता है। केवल फलाहार किया जाता है। फलाहार में फल, दूध, दही, सेंधा नमक, राजगिरा, कुट्टू , सिंघाड़ा और साबूदाना खाया जा सकता है। तेल भी मूंगफली और सनफ्लावर का ही इस्तेमाल करे। अब इन वस्तुओ से मिलकर बना कोई भी खाने का पकवान आप उपवास में खा सकते है। दूसरा तरीका है व्रत का, जिसमे एक समय फलाहार और एक समय अन्न से बना भोजन किया जा सकता है। आप चाहे तो रोटी खाये या कुछ और बस तामसिक वस्तुओ का व्रत वाले दिन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

सोमवार व्रत की विधि क्या है?

सोमवार के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजन सामग्री: प्रातःकाल ही शिवलिंग व माता पार्वती की पूजा के लिए सामग्री तैयार करले।
पूजन का समय: सुबह के समय दिन के तीसरे प्रहर तक शंकर भगवान और माता पार्वती का पूजन कर लेना चाहिए।
मंत्र जाप: पूजा के समय शिव मंत्रों का जाप करते रहे।
पूजन के उपरान्त दिन या रात में केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करे।
पूजन के अंत में शिव जी की आरती जरूर करें।
शिव पूजन के पश्यात सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए।

सोमवार का व्रत क्या खाकर खोलना चाहिए?

सोमवार व्रत के पारण का कोई विशेष नियम नहीं है। फिर भी सात्विक भोजन से ही व्रत खोलना चाहिए।

सोमवार का व्रत कितने बजे खोलना चाहिए?

सोमवार के दिन सूर्योदय के बाद तीसरे पहर तक शिव पूजा उपरांत कभी भी सामर्थ्य अनुसार व्रत खोला जा सकता है

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