Vedon ki Rachna Kisne ki hai | वेदों की रचना किसने की

Vedon ki Rachna Kisne ki hai | वेदों की रचना किसने की

Vedon ki rachna kisne ki hai? Who wrote vedas? वेदों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हम यहाँ आपसे साझा कर रहे है जैसे वेदों की रचना कब हुई ?, वेदों की रचना किसने की ?, वेद कितने प्रकार के होते है ?, वेद किसलिये लिखे गए थे?, वेदों के अंदर क्या ज्ञान छुपा है ?, वेदों से हम क्या-क्या ज्ञान प्राप्त करते है ? इसके अलावा और भी बहुत कुछ हम यहाँ आपको बताने की कोशिश करेगे। वेद हिन्दू सनातन धर्म का आधार है। अर्थशास्त्र, संगीतशास्त्र, जीवनशास्त्र, मोक्षशास्त्र, चिकित्साशास्त्र, खगोलशास्त्र और हर एक सामजिक पहलु वेदों में निहित है। संसार का सार वेदों में लिखा है। हजारो साल से वेद मनुष्य को ज्ञान पुंज की भाति राह दिखा रहे है ।

What are Vedas? वेद क्या है? वेद क्या होते है ?

वेद शब्द बना है “विद्” से जिसका अर्थ है जानना (किसी बात या व्‍यक्ति की जानकारी होना) इससे ही बना है विद्वान, विदुषी, विद्या । वेद का अर्थ है “ज्ञान” ।

अनन्ता वै वेदाः अर्थात “वेद अनंत है” “जिसका कोई अंत नहीं वही वेद है”

वेदों को श्रुति भी कहा जाता है। Vedas also called Nigama, Shruti, Amnaya

वेद कोई कल्पना की बातो को प्रस्तुत नहीं करते है। वेद पूरी तरह से प्रैक्टिकल बातो का लिपिबद्ध रूप है।

When Vedas was Written? वेदों की रचना कब हुई ?

वेदों कि रचना कब हुई ? इस प्रश्न पर आधुनिक समय में सबसे पहले मैक्स मूलर ने शोध कार्य किया और बुद्ध की ज्ञात तिथि 600 ई पूर्व को अपनी काल गणना का प्रारंभ बिंदु बनाया।

एक बात तो ज्ञात रूप से प्रामाणिक है कि बुद्ध से पहले प्रमुख उपनिषद रचे जा चुके थे। मैक्स मूलर ने वैदिक साहित्य के प्रत्येक चरण के लिए 200 वर्षों का समय निर्धारित किया। इस गणना अनुसार 600 ईसा पूर्व से पीछे की ओर चलते हुए
उपनिषद 800 से 600 ईसा पूर्व
ब्राह्मण और आरण्यक 1000 से 800 ईसा पूर्व तथा
ऋग्वेद की ऋचाएं अथवा मंत्र 1200 से 1000 ईसा पूर्व रचे गए होंगे।

यह प्रश्न उल्लेखनीय है कि स्वयं मैक्स मूलर इस तिथि निर्धारण को सर्वथा निश्चित नहीं मानते थे और उन्होंने यह स्पष्ट शब्दों में स्वीकार किया कि ऋग्वेद कि रचना का समय 1000 से 1500 ईसा पूर्व या 2000 ईसा पूर्व अथवा 3000 ईसा पूर्व भी हो सकता है।

Who Wrote Vedas? वेदों की रचना किसने की ?

वेद परब्रम्ह के द्वारा ऋषियों को सुनाया गया ज्ञान है इसलिये वेदों को श्रुति कहा जाता है । ऐसा कहा जाता है कि सर्वप्रथम भगवान शिव ने वेदों को ब्रह्मा जी को सुनाया था फिर ब्रह्मा जी ने चार ऋषियों को इन वेदों का ज्ञान दिया था । ऋषि अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ये वो चार ऋषि थे ।

शतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ के अनुसार अग्नि, वायु और आदित्य(सूर्य) ने तपस्या की और ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद को प्राप्त किया । वही अंगिरा ऋषि ने अथर्ववेद को प्राप्त किया था।

वेद व्यास जी ने वेदों को पुनर्गठित और सूचीबद्ध किया था । वेदों का ज्ञान तो अनंत काल से गुरु शिष्य परम्परा से पीढ़ी देर पीढ़ी आगे बढ़ता रहा ।

Vedas Types वेद कितने प्रकार के होते है ?

वेद चार प्रकार के होते है

  • ऋग्वेद
  • यजुर्वेद
  • सामवेद
  • अथर्ववेद

हर वेद के भी चार भाग होते है

  • आरण्यक(Aranyaka)
  • ब्राह्मण(Brahmana)
  • सहिंता(Samhita)
  • उपनिषद(Upanishad)

Why Vedas Was Written? Significance of Vedas वेद किसलिये लिखे गए थे? वेद क्यों लिखे गए थे ?

  • मानव जाति को व्यवस्थित जीवनचर्या देने के लिये वेदों का निर्माण हुआ।
  • हिन्दू सनातन संस्कृति के सभी नियमों, कर्म-काण्ड, दिनचर्या और दैनिक जीवन में काम आने वाले सूत्रों को लिपिबद्ध किया गया, तो वो वेद कहलाए।

वेदों के अंदर क्या ज्ञान छुपा है ?, वेदों से हम क्या-क्या ज्ञान प्राप्त करते है ?

ऋग्वेद

  • सबसे पहला वेद ऋग्वेद था । यह वेद पद्यात्मक रूप में लिखा हुआ है । इसके 10 मंडल(अध्याय) में 1028 सूक्त है। जिसमे 10552 मन्त्र है।
  • ऋग्वेद मुख्य रूप से हमे विज्ञान के बारे में बताता है इसलिये इसे विज्ञान काण्ड भी कहा जाता है।
  • ऋग्वेद में एक ही संहिता ऋग्वेद संहिता पाई जाती है ।
  • ऋग्वेद में दो ब्राह्मण ऐतरेय और कौषीतकि होते है ।
  • ऋग्वेद में दो आरण्यक पाये जाते है ऐतरेय और शांखायन ।
  • ऋग्वेद में कुल 10 उपनिषद पाये जाते है ।
  • ऋग्वेद में इंद्र देव, अग्नि देव, सूर्य देव, वरुण देव और वायु देव की आराधना के मन्त्र और विधि है ।

यजुर्वेद

  • यजुर्वेद में 40 अध्याय और 1975 श्लोक(मन्त्र ) है । जिन्हे यजुस भी कहा जाता है ।
  • यजुर्वेद के दो भाग है शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद
  • यजुर्वेद यज्ञ और अनुष्ठानो का विवरण देता है।
  • यजुर्वेद में एक ही संहिता है जिसको यजुर्वेद संहिता कहा जाता है ।
  • यजुर्वेद में तीन ब्राह्मणसय होते है जिन्हे कथक ब्राह्मण, तैत्तिरीय ब्राह्मण और शतपथ ब्राह्मण कहते है।
  • यजुर्वेद में तीन आरण्यक पाये जाते है ब्रिहद, तैत्तिरीय और मैत्रायणीअ आरण्यक।
  • यजुर्वेद में कुल 51 उपनिषद पाये जाते है।

सामवेद

  • साम का अर्थ है रूपांतरण और संगीत, सौम्यता और उपासना। सामवेद में ऋग्वेद की ऋचाओं का संगीतमय रूप है। आकार की दृष्टि से सामवेद सबसे छोटा है परन्तु इसमे वेदो का संगीतमय सार है जो इसको सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण वेद बनाता है ।
  • सामवेद में एक ही संहिता है जिसको सामवेद संहिता कहा जाता है । इसमे 1875 मन्त्र है अधिकतर मन्त्र ऋग्वेद से लिये गए है ।
  • सामवेद में कुल 11 ब्राह्मणसय पाये जाते है ।
  • सामवेद में दो आरण्यक पाये जाते है, तलवकारा और छान्दोग्य ।
  • सामवेद में कुल 16 उपनिषद पाये जाते है । छान्दोग्य और केना उपनिषद सबसे प्रमुख उपनिषद है ।
  • सामवेद में विशेष पुजारी का वर्णन है। जिनको उद्गात्र के नाम से जाना जाता है। उद्गात्र पुजारी विशेष गायक होते थे जो मंत्रो को गाकर देवताओ का आव्हान करते थे ।

अथर्ववेद

  • अथर्ववेद में कुल 20 काण्ड, 730 सूक्त, 5987 मन्त्र है।
  • इस वेद में ब्रह्म ज्ञान, औषधि प्रयोग, रोग निवारण जंतर-तंत्र, टोना-टोटका आदि की जानकारी है। पृथ्वी सूक्त इसका सबसे महत्वपूर्ण सूक्त है ।
  • अथर्ववेद में आयुर्वेद, औषधियों और चिकित्सा आदि का वर्णन होने के कारण इसे भेषज्य वेद भी कहा जाता है।
  • अथर्ववेद को ब्रह्मवेद के साथ-साथ ज्ञान काण्ड भी कहा जाता है।
  • अथर्ववेद में एक ही संहिता है जिसको अथर्ववेद संहिता कहा जाता है।
  • अथर्ववेद में 736 गान के साथ 6077 मन्त्र है।
  • अथर्ववेद में एक ही ब्राह्मणसय है जिसे गोपथ ब्राह्मण कहते है।
  • अथर्ववेद में कुल 31 उपनिषद पाये जाते है।

Disclaimer (खंडन)

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी’।

FAQ

वेद कितने हैं?

वेद चार होते है
ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद

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